महाशिवरात्रि, क्या है इसका महत्व ?
महाशिवरात्रि:
हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है, परंतु फाल्गुन माह की चतुर्दशी को होने वाली शिवरात्रि को “महाशिवरात्रि” के रूप में मनाया जाता है। इसका विशेष महत्व है।
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
पर्व का महत्व, कथाएं और उत्सव
- भगवान शिव का दिव्य अवतरण: माना जाता है कि इस पावन रात्रि में ही निराकार स्वरूप से भगवान शिव साकार रूप में प्रकट हुए थे।
- शिव-पार्वती विवाह: एक अन्य कथा के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था।
- ज्योतिर्लिंगों का प्रकट होना: कई धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि इसी दिन सभी बारह ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे।
शिवरात्रि का महत्व:
- आध्यात्मिक उन्नति: यह दिन आत्म-चिंतन, ध्यान और आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
- मोक्ष प्राप्ति: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत, पूजा और जलाभिषेक से मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
- मनोकामना पूर्ण: भगवान शिव की आराधना से मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
भगवान का उत्सव:
- व्रत एवं रात्रि जागरण: भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, शिवलिंग की पूजा करते हैं और रातभर जागकर उनके नाम का जाप करते हैं।
- विभिन्न पूजा-पाठ: शिवलिंग का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, सहस्त्रार्चन, पंचामृत स्नान आदि पूजाएं की जाती हैं।
- भजन-कीर्तन: मंदिरों और घरों में भजन-कीर्तन का आयोजन होता है, जहाँ भक्त शिव की महिमा का गुणगान करते हैं।
- भव्य मेले: देशभर के शिवालयों में भव्य मेले लगते हैं, जहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
धर्म: हर किसी के लिए एक पर्व:
केवल महाशिवरात्रि हिंदू धर्म के अनुयायियों तक ही सीमित नहीं है। इसका महत्व और सकारात्मक ऊर्जा सभी को आकर्षित करती है। इस दिन लोग सहिष्णुता, करुणा और शांति का संदेश ग्रहण करते हैं, जो वर्तमान समय में बेहद प्रासंगिक है।
महाशिवरात्रि का पर्व केवल भगवान शिव के प्रति समर्पण और भक्ति का प्रतीक ही नहीं है, बल्कि यह आत्म-चिंतन, आध्यात्मिक उन्नति और मनोकामना पूर्ण करने का भी पावन अवसर प्रदान करता है।