उत्तरकाशी के वर्णावत पर्वत पर विमलेश्वर महादेव का मंदिर

 

उत्तरकाशी के वर्णावत पर्वत परविमलेश्वर महादेव का मंदिर
विमलेश्वर महादेव: यहां परशुराम करते हैं जलाभिषेक

वरुणावत  पर्वत स्थित है मंदिर , जब श्रद्धालु पहुंचते हैं मंदिर तो शिवलिंग पर चढ़ा मिलता है जल और पुष्प

भगवान शिव की नगरी उत्तरकाशी में एक ऐसा शिव मंदिर है जहां तड़के जब श्रद्धालु मंदिर में पहुंचते हैं तो उन्हें शिवलिंग पर जल चढ़ा मिलता है | यह शिव मंदिर है वर्णावत पर्वत पर स्थित विमलेश्वर महादेव | धार्मिक मान्यता है कि यहां सबसे पहले भगवान परशुराम शिव का जलाभिषेक करते हैं | जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूरी  पर  परवरुणावत पर्वत पर स्थित विमलेश्वर महादेव मंदिर चीड़ और देवदार के वृक्षों के बीच स्थित  है | मंदिर के गर्भग्रह के अंदर स्वयंभू शिवलिंग है जो सदियों पुराना माना जाता है | श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय के प्रबंधक डॉ० राधेश्याम खंडूरी बताते हैं कि मंदिर कब बना, इसका कोई इतिहास तो नहीं है | लेकिन शिवलिंग के बारे में जनश्रुति है कि जहां शिवलिंग है वहां कभी झाड़ियां हुआ करती थी इसके समीप स्थित छानियों में एक किसान जब भी अपनी गाय दुहाता तो उसका दूध नहीं निकला | एक दिन उसकी किसान  ने देखा की गाय झाड़ियां के बीच पहुंचकर अपना दूध शिवलिंग पर अर्पित कर रही  है तब किसान  ने कुल्हाड़ी से शिवलिंग पर चोट मारी और उसके दो टुकड़े हो गए बाद में जब उसे स्वप्न आया तो वहां झाड़ियां काटकर शिवलिंग का अभिषेक शुरू हुआ | डॉक्टर राधेश्याम बताते हैं कि वह स्वयं सुबह 3:00 बजे जब भी मंदिर गए तो वहां जलाभिषेक के साथ जंगली पुष्प चढ़े हुए मिलते हैं बताया कि ऐसी मान्यता है कि यहां भगवान परशुराम सबसे पहले शिवलिंग पर जलाभिषेक व पुष्प अर्पित करते हैं उन्होंने वर्णावत पर्वत पर ही तपस्या की थी |

कैसे पहुंचे

उत्तरकाशी शहर से विमलेश्वर मंदिर 12 किलोमीटर दूरी पर स्थित है श्रद्धालु उत्तरकाशी से महिडांडा मोटर मार्ग होते हुए  वाहन से संग्राली बैंड पहुंचते हैं जहां से 500 मीटर की पैदल दूरी पर मंदिर स्थित है

हर हर महादेव

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